Prem-Panth Aiso Kathin (प्रेम-पंथ ऐसो कठिन)
- ओशो की यह पुस्तक निश्चित ही हमारे जीवन को, प्रेम में गिरना, प्रेम में होना, और प्रेम ही होना- प्रेम के इन तीन रूपों को स्पष्ट करते हुए ओशो इस प्रश्नोत्तर प्रवचनमाला का प्रारंभ करते हैं और प्रेम व जीवन से जुडे़ प्रश्नों की गहरी थाह में हमें गोता लगवाने लिए चलते हैं। यह एक इंद्रधनुषी यात्रा है- विरह की, पीड़ा की, आनंद की, अभीप्सा की और तृप्ति की।
- ओशो ने अपने कम्यून में तथा ध्यान-केन्द्रों में सामूहिक ध्यान प्रयोगों के साथ देश भर में ध्यान-शिविरों के आयोजनों के निर्देश दिए हैं। इनसे व्यक्ति जो अकेला नहीं कर पाता, वह समूह में सहज ही संभव हो जाता है।
- ‘प्रेम-पंथ ऐसो कठिन’ पढ़ते-पढ़ते आप पाएंगे कि आप भी प्रेम में हो गए और आपके जीवन में प्रेम का एक नया सूर्योदय हुआ।
- notes
- See discussion for TOC and other tidbits
- time period of Osho's original talks/writings
- Mar 27, 1979 to Apr 10, 1979 : timeline
- number of discourses/chapters
- 15
editions
Prem-Panth Aiso Kathin (प्रेम-पंथ ऐसो कठिन)
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